मंगलवार, नवंबर 06, 2012

संदर्भ से कटे नेताओं के बयान 

  संदर्भ से कटे बयानों के कारण नेताओं के बयान राजनीतिक विवादों को जन्म देते हैं। ये राजनीति से जुड़े लोगों को संवेदनशील तुलनाएं सोच समझ कर करना चाहिए ।


  सं दर्भहीन शब्द और बयान कितने विस्फोटक हो सकते हैं इसके कई उदाहरण इतिहास में मिल जाएंगे। सबसे पहला ज्ञात उदारहण है जब कृष्ण ने महाभारत युद्ध में द्रोणाचार्य को परास्त करने के लिए भीम से कहलवाया था- हतो अस्वथामा। यानी अस्वथामा मर गया। यहां संदर्भ नहीं बताया था कि अस्वथामा पुरुष था या हाथी के रूप में मरा था। संदर्भहीन वाक्य को सुनकर द्रोण ने समझा उनका बेटा मारा गया है। वे यह खबर सुन कर अचेत हो गए और उन्हें परास्त कर दिया गया। भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी द्वारा भोपाल में दिए बयान को कुछ इस तरह ही राजनीति में स्वीकार किया गया है, खबर देने वालों ने और राजनीति में स्वीकार करने वालों ने भी कुछ इसी तरह स्वीकार किया है। भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी ने कहा कि स्वामी विवेकानंद और माफ़िया डॉन दाऊद इब्राहिम का आईक्यू एक जैसा था लेकिन दोनों की जिÞंदगी की दिशा अलग थी। गडकरी के संदर्भ थे कि एक का आई क्यू निगेटिव था और दूसरे का आई क्यू पॉजिटिव था। यह बयान संदर्भ के साथ देखा जाए तो बहुत अच्छा है लेकिन अगर इसे संदर्भ से काट दिया जाए तो यह तुलना खतरनाक हो सकती है। मीडिया में ये बयान संदर्भहीनता की स्थिति में उठा लिए गए। इससे यह बयान बाजी को राजनीतिक रंगत मिल गई। इस बयानबाजी से राजनीतिक सरगर्मियां तेज हो गई हैं। इस तरह संदर्भ सहित देखा जाए तो गडकरी का बयान उतना गलत नहीं था जितना शोर मचाया जा रहा है। अच्छे और बुरे दोनों व्यक्तियों का आईक्यू होता है,लेकिन दोनों में फर्क यहीं होता है कि एक अच्छे काम और दूसरा बुरे काम में अपना आईक्यू इस्तेमाल करता है। गडकरी का यह कहना भी गलत नहीं है कि मीडिया ने बयान को तोड़मड़ोर पेश किया,क्योंकि  मीडिया ने आधे अधूरे बयान को पेश किया है। अब जब राजनीति है तो ऐसे बयानों को राजनीतिक रंग तो दिए ही जाएंगे। ऐसी संवेदनशील तुलना से नेताओं को उसी प्रकार बचा जाना चाहिए जैसे कि दूध का जला छांछ भी फूंक-फूंक कर पीता है। बिना इसके कोई नेता  राजनीति  की उठापटक से नहीं बचा सकता। भारतीय लोकतंत्र में  हरेक दिन कोई न कोई नेता ऐसे बयानों से अनावश्यक विवादों को जन्म देता है। नरेन्द्र मोदी और शशि थरूर का मामला अभी ठंडा नहीं हुआ था कि नितिन गडकरी ने ताजा बयान देकर विवादों में हैं। पूर्व में भी नितिन गडकरी को कसाब और कांग्रेस वाले अपने बयान के कारण आलोचना का शिकार होना पड़ा था। कांग्रेस ने भाजपा अध्यक्ष के इस बयान की कड़ी आलोचना करते हुए उनसे सार्वजनिक माफी मांगने की मांग की है। हालांकि, नितिन गडकरी ने अपने बयान का खंडन करते हुए कहा है कि उन्होंने दाऊद और स्वामी विवेकानंद की कभी कोई तुलना नहीं की, न ही इसमें तुलना करने लायक कुछ है। लेकिन राजनीतिक लाभ हानि की प्रक्रिया में कई तरह के उतार-चढ़ाव आते हैं। नेताओं को अपने शब्द फूंक-फूंक कर ही बोलना चाहिए।

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