मंगलवार, नवंबर 06, 2012



ए आर रहमान: आवाज की रहमत से गूंजेगा भोपाल



अल्लाह रक्खा रहमान हिन्दी फिल्मों के एक प्रसिद्ध संगीतकार हैं। ए. आर. रहमान ऐसे पहले भारतीय हैं जिन्हें ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर में उनके संगीत के लिए तीन आॅस्कर नामांकन हासिल हुआ है। इसी फिल्म के गीत जय हो.. के लिए सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक कंपाइलेशन और सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत की श्रेणी में दो ग्रैमी पुरस्कार मिले।
6 जनवरी 1967 को चैन्ने तमिलनाडु में जन्मे। जन्म के समय उनका नाम ए. एस. दिलीप कुमार था जिसे किशोरावस्था में बदलकर वे ए. आर. रहमान बने। सुरों के बादशाह रहमान ने हिंदी के अलावा अन्य भाषाओं की फिल्मों में भी संगीत दिया है। टाइम्स पत्रिका ने उन्हें मोजार्ट आॅफ मद्रास की उपाधि दी। रहमान गोल्डन ग्लोब अवॉर्ड से सम्मानित होने वाले वे पहले भारतीय हैं।


विरासत में संगीत
रहमान को संगीत अपने पिता से विरासत में मिला था। उनके पिता आर. के. शेखर मलयाली फिÞल्मों में संगीत देते थे। रहमान जब नौ साल के थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई थी और पैसों के लिए घरवालों को वाद्य यंत्रों को भी बेचना पड़ा। हालात इतने बिगड गए कि उनके परिवार को इस्लाम अपनाना पड़ा। मात्र 11 वर्ष की उम्र में अपने बचपन के मित्र शिवमणि के साथ रहमान बैंड रुटस के लिए की.बोर्ड (सिंथेसाइजर) बजाने का कार्य करते। बैंड ग्रुप में काम करते हुए ही उन्हें लंदन के ट्रिनिटी कॉलेज आॅफ म्यूजिक से स्कॉलरशिप भी मिली, जहां से उन्होंने पश्चिमी शास्त्रीय संगीत में डिग्री हासिल की।

तीन बच्चे
ए. आर. रहमान की पत्नी का नाम सायरा बानो है। उनके तीन बच्चे हैं. खदीजा, रहीम और अमन।

वंदे मातरम
1991 में रहमान ने अपना खुद का म्यूजिक रिकॉर्ड करना शुरु किया। 1992 में उन्हें फिल्म डायरेक्टर मणिरत्नम ने अपनी फिल्म रोजा में संगीत देने का न्यौता दिया। फिल्म म्यूजिकल हिट रही और पहली फिल्म से ही रहमान ने फिÞल्मफेयर पुरस्कार भी जीता। इस पुरस्कार के साथ शुरू हुआ रहमान की जीत का सिलसिला आज तक जारी है। रहमान के गानों की 200 करोड से भी अधिक रिकॉर्डिग बिक चुकी हैं। आज वे विश्व के टॉप टेन म्यूजिक कंपोजर्स में गिने जाते हैं। उन्होंने तहजीब, बॉम्बे, दिल से, रंगीला, ताल, जींस, पुकार, फिजाए लगान, मंगल पांडे, स्वदेश, रंग दे बसंती, जोधा-अकबर, जाने तू या जाने ना, युवराज, स्लम डॉग मिलेनियर, गजनी जैसी फिल्मों में संगीत दिया है। उन्होंने देश की आजादी की 50 वर्षगांठ पर 1997 में वंदे मातरम एलबम बनाया, जो जबर्दस्त सफल रहा।
भारत बाला के निर्देशन में बना एलबम जन गण मन जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत से जुडी कई नामी हस्तियों ने सहयोग दिया उनका एक और महत्वपूर्ण काम था। उन्होंने स्वयं कई विज्ञापनों के जिंगल लिखे और उनका संगीत तैयार किया। उन्होंने जाने-माने कोरियोग्राफर प्रुदेवा और शोना के साथ मिलकर तमिल सिनेमा के डांसरों का टुुप बनाया, जिसने माइकल जैक्सन के साथ मिलकर स्टेज कार्यक्रम दिए।


सम्मान और पुरस्कार
1. संगीत में अभूतपूर्व योगदान के लिए 1995 में मॉरीशस नेशनल अवॉर्डए मलेशियन अवॉर्ड।
2. फर्स्ट वेस्ट एंड प्रोडक्शन के लिए लारेंस आॅलीवर अवॉर्ड।
3. चार बार संगीत के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार विजेता।
5. 2000 में पद्मश्री से सम्मानित।
6. मध्यप्रदेश सरकार का लता मंगेशकर अवॉर्ड।
7. छ: बार तमिलनाडु स्टेट फिल्म अवॉर्ड विजेता।
8. 11 बार फिल्म फेयर और फिल्म फेयर साउथ अवॉर्ड विजेता।
9. विश्व संगीत में योगदान के लिए 2006 में स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी से सम्मानित।
10. 2009 में फि ल्म स्लम डॉग मिलेनियर के लिए गोल्डेन ग्लोब पुरस्कार।
11. ब्रिटिश भारतीय फिल्म स्लम डॉग मिलेनियर में उनके संगीत के लिए आॅस्कर पुरस्कार।
12. 2009 के लिये 2 ग्रैमी पुरस्कारए स्लम डॉग मिलेनियर के गीत जय हो... के लियेरू सर्वश्रेष्ठ साउंडट्रैक व सर्वश्रेष्ठ फिल्मी गीत के लिये।
यह सिलसिला अभी जारी है।
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उड़ान पर हैं तैयारियां


ए आर रहमान के पहले मंच पर प्रस्तुतियां के सिलसिले की तैयारियां जोरों पर हैं। कला अकादमी प्रांगण और संस्कृति परिषद में कृष्णायन की रिहर्सन प्रमुख कोरियोग्राफर मैत्रेयी और सहायक क्षमा मालवीय द्वारा की जा रही है। इस प्रस्तुति के लिए कलाकार एक एक स्टेप्स पर काम कर रहे हैं।

55 मिनट का कृष्णायन
इस रिहर्सल और प्रस्तुति अधिकांश भोपाल के कलाकार हैं, कुछ ही कलाकार मणिपुर से हैं। सभी अच्छा परफरमेंस कर रहे हैं। रिहर्सल में और उसके प्रबंध में कोई दिक्कत नहीं है। हमारे कलाकार कृष्णायन की प्रस्तुति करेंगे जो 55 मिनट की होगी।
मैत्रेयी, कष्णायन की प्रमुख कोरियोग्राफर
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रोमांचक रिहर्सल
हमारी सारी रिहर्सल कथक पर आधारित है। पहले भी हम इस तरह के कार्यक्रमों में प्रस्तुती दे चुके हैं। हर बार नया सीखते सिखाते हैं। हमारी कृष्णायन की तैयारी चल रही है। बच्चों को ऐसी प्रस्तुतियां बहुत रोमांच देती हैं। उनका उत्साह देखते बनता है।
क्षमा मालवीय, सहायक कोरियोग्राफर

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मैं बीस दिन से कृष्णायन की तैयारी कर रही हूं। यहां दो तरह से अच्छा लग रहा है, एक, हम नए स्टेप्स सीख रहे हैं। नए तरह के भाव और नए माहौल में नया सीखना होता है। मध्यप्रदेश स्थापना दिवस ऐतिहासिक है।

कीर्ति गोसाई, प्रतिभागी कलाकार कृष्णायन
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मैं तीन साल से   कथक सीख रही हूं। यहां ग्रुप परफारमेंस देना होता है, इसलिए कई नए तरह के स्टेप्स और भावों सीखने मिला है। रिहर्सल में कार्यक्रम जैसा सुकून मिल रहा है। मेरे लिए ये बहुत ही नए तरह का अनुभव है।
खुशबु थदानी, प्रतिभागी समूह कलाकार कृष्णायन
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मैंने नृत्य निधि मैम के निर्देशन में सीखा है। यहां इस रिहर्सल में बड़े लोगों का साथ मिला है तो अच्छा लग रहा है। उनके द्वारा सिखाई जा रही चीजें मेरे लिए बहुत ही अच्छी हैं।
अमृता सिंह, समूह कलाकार कृष्णाय प्रस्तुति
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दो दिन से लगातार इस प्रैक्टिस में हिस्सा ले रही हूं। मैं मैत्रेयी जी से बहुत कुछ सीख रही हूं। वे हमें नृत्य की बारीकियों से परिचित कराते हुए इस रिहर्सल के माध्यम से प्रस्तुति के लिए तैयार कर रही हैं।
पूनम परिहार, कृष्णायन में रुक्मणी की भूमिका में

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एआर रहमान कहते हैं


जानी-मानी लेखिका नसरीन मुन्नी कबीर ने ए आर रहमान के जीवन पर ‘एआर रहमान द स्पिरिट आफ म्यूजिक’ नाम की किताब लिखी है।
इस जीवनी में उनके विचार भी हैं।

रहमान कहते हैं, हर इंसान की जिÞंदगी में कभी-न-कभी रुकावट आती है जब लगता है कि दुनिया ख़त्म हो गई है। लेकिन मैं कहूंगा कि ऐसे वक्त में हिम्मत नहीं हारनी चाहिए क्योंकि अगर आप समाधान ढूंढेगे तो हर समस्या का समाधान है।

सूफÞी शैली इस्लाम का एक आध्यात्मिक अंग है जो आपार प्रेम और सर्वव्यापकता से जुड़ा है। मैं इससे बहुत प्रभावित हूं।


 मैं हमेशा अपने दिमागÞ में ये बात रखता हूं कि अगर मैं अगला गाना नहीं बना पाया तो मैं ख़त्म हो जाऊंगा। ये चुनौती हमेशा मेरे सामने रहती है।

दो आॅस्कर पुरस्कार जीत चुके रहमान ने आॅस्कर समारोह में कहा था कि उनके पास प्यार और नफÞरत में से एक को चुनने का विकल्प था और उन्होंने प्यार को चुना।

भारत में संगीत के नाम पर सिफर्Þ फिÞल्मी संगीत ही लोकप्रिय है। वो विदेशों में चल रहे ब्रॉडवे, सिंफÞनी और आॅपेरा की तर्ज पर भी भारत में कुछ करना चाहते हैं। उनके हिसाब से कला की कोई सीमा नहीं होनी चाहिए।


रहमान के बारे में कौन क्या कहता है



एआर रहमान का संगीत धीमे जÞहर की तरह है. ये धीरे-धीरे असर करता है. और फिर परवान चढ़ जाता है. उसके बाद तो उनका संगीत धूम ही मचा देता है।

शान, मशहूर गायक 


रहमान भारतीय फिÞल्म संगीत में ताजÞा हवा के झोंके की तरह हैं. उनकी वजह से अब दूसरे लोग भी लीक से हटकर कुछ नया करने का साहस कर पा रहे हैं.
प्रसून जोशी, गीतकार

उनके जैसे जीनियस के साथ काम करना एक अलग ही अनुभव होता है. उनके काम का स्टाइल ही अलग होता है जो उनके संगीत में सुनाई भी पड़ता है। जब मैंने फिÞल्म नायक में पहली बार उनके लिए गाना गाया तो मुझे बहुत ख़ुशी हुई चलो आखÞिर रहमान के साथ काम करने की तमन्ना पूरी हुई।
-सुनिधि चौहान, गायिका



रहमान पंडित रविशंकर, भीमसेन जोशी और किशोरी अमोनकर की तरह परंपरागत भारतीय संगीत की पहचान हैं। साथ ही वो दुनिया भर में आधुनिक भारतीय फिÞल्मी संगीत के भी प्रतिनिधि हैं।
जावेद अख्तर,गीतकार



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