गुरुवार, जुलाई 26, 2012

टीम अन्ना अपनी गरिमा क्यों खो रही है?


टीम अन्ना अपनी गरिमा क्यों खो रही है? यह क्यों नहीं समझ पा रही कि भारतीय जनमानस अतिवाद अमर्यादा की जगह संयम और संतुलन का हिमायती रहा है।
 दिल्ली के जंतर-मंतर पर अनिश्चित समय के लिए अनशन पर बैठी टीम अन्ना ने भ्रष्टाचार के मुद्दों पर एक बार फिर यूपीए सरकार के मंत्रियों, नेताओं और यहां तक की सद्य-शपथ ग्रहण करने वाले राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी पर भी निशाना साधा दिया। अन्ना की टीम और केजरीवाल अब जनता में अपनी अजीबो गरीब और अमर्यादित बयानों के कारण हास्यास्पद हो चुके हैं। टीम अन्ना अब सिद्ध कर रही है कि वह सिर्फ एक कागजी तूफान का नाम था। अगर अन्ना की दूसरी क्रांति इस अमर्यादा के कारण असफल होगी तो इतिहास में इसे कुछ सनकी लोगों को आंदोलन ही कहा जाएगा।
टीम ने जब ये आंदोलन प्रारंभ किया था तब यह पार्टी निरपेक्ष था लेकिन अब यह आंदोलन कांग्रसे बनाम टीम अन्ना हो गया है। टीम अन्ना के कर्ताधर्ता जल्दबाजी में, अंडबंड काम करने लगे हैं। जनता का इस आंदोलन से मोह भंग होने का कारण ही यही है कि यह सिर्फ अरविंद केजरीवाल से शुरू होता है और टीवी अखबारों में जगह पाकर खत्म होने लगा है। अब वह भी खत्म हो रहा है। टीम यह भी नहीं समझ पा रही है कि देश की जनता क्षमा और मर्यादा की हिमायती है। भ्रष्टाचार के लिए किसी पार्टी या किसी सरकार के मंत्रियों की जगह उसे देश और जनता को संबोधित होना चाहिए। आज टीम अन्ना सरकार और पार्टीगत होकर देश की जनता को प्रभावित करने की कोशिश कर रही है। अब जंतर मंतर स्थित मंच पर गांधी जी की तस्वीर लगायी गई। इसके साथ ही टीम अन्ना ने जिन केन्द्रीय नेताओं के खिलाफ स्वतंत्र जांच कराने की मांग की है उनकी तस्वीरें भी टांग दी गई हैं जिसमें राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, गृह मंत्री पी चिदंबरम भी शामिल हैं। बाद में बाद प्रणब के चित्र को कपड़े से ढक दिया गया। इस पर टीम अन्ना के सहयोगी अरविंद केजरीवाल ने सफाई दी कि प्रणब मुखर्जी अब राष्ट्रपति है जो शीर्ष संवैधानिक पद है। हम संविधान का सम्मान करते हैं, इस नाते प्रणब के   चित्र को कपड़े से ढक रहे हैं ताकि इस पद की गरिमा कम न हो। ये ड्रामा बेतुका है और इशारा करता है कि टीम अन्ना के पास बड़े आंदोलन के तत्व नहीं रहे। अब टीम अन्ना प्रतिदिन नेताओं के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोपों का खुलासा करेगी जबकिआंदोलन एतिहासिक होना चाहिए। टीम के सदस्यों को स्मरण करना चाहिए कि वह जन आंदोलन से जुड़े हैं जिस पर देश की जनता ने अटूट विश्वास के गीत गाए थे। और वह उनसे परिवर्तन की अपेक्षाएं भी रखती है लेकिन अगर वह अपनी अहंकारी जुबान को इस प्रकार इस्तेमाल करते रहेंगे तो उनकी विश्वसनीयता में दाग भी लग सकता है। आज टीम अन्ना संसद पर कीचड़ उछालने की जिद  छोड़ देश की जनता को भ्रष्टाचारके खिलाफ खड़ा करे वरना भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन का यह सूरज अस्त होने में जरा भी देर नहीं लगेगी और उसके अलावा राजनीतिक दलों को भी चाहिए किवह संसद में फैली गंदगी को  दूर करें जिसमें कि देश की भलाई होगी और सदनकी गरिमा भी बरकरार रहेगी।

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