शनिवार, अप्रैल 24, 2010

पूंजीवादी परिवारोंका आईपीएल


बड़े पूंजीवादी परिवारों के लोगों का आईपीएल चल रहा है और देश की जनता देख रही है। यह खेल क्रिकेट की तरह हो गया है, जहां आखिरी गेंद तक कुछ नहीं कहा जा सकता।

ब आईपीएल क्रिकेट यानी इंडियन प्रायमर लीग में घपले की पिच पर राजनीति की घास दिखने लगी है। फिलहाल तो खेल जारी है और 24 को फाइनल होना है। जब कोच्चि की टीम के फ्रेंचाइजी मामले में ललित मोदी शशि थरूर से भिड़े थे तो उन्हें भी अंदाजा नहीं था कि शशि थरूर तो जाएंगे पर उससे ज्यादा नुकसान मोदी और उनके हित चिंतकों को होगा। मोदी को हटाने के लिए स्टंप उखाड़े जा रहे हैं और कई लोग इसमें मैदान से बाहर रह कर भी क्रिकेट खेल रहे हैं। मोदी भी अड़े हैं कि पद नहीं छोड़ूगा। दरअसल वे जानते हैं कि लाभ की आईपीएल-गंगा में किस-किस ने हाथ धोए हैं। शुक्र है कि थरूर इस मामले में घिरे और अब पर्दा हट गया है। बड़े-बड़े लोगों ने खुद ही हाथ नहीं धोए, अपने बेटे बेटियों को भी इस गंगा में तैरा दिया। क्रिकेट की इस गंगा में प्रफुल्ल पटेल की बेटी पूर्णा पटेल का नाम आया है, उन्होंने 9 लाख के वेतन से नौकरी शुरू की और एक साल में ही तिगुने से अधिक बढ़ कर उनका वेतन 30 लाख सालाना हो गया। वैसे प्रफुल्ल पटेल इसे छोटी सी नौकरी बता रहे हैं। शरद पवार अपने दामाद के लिए आईपीएल गंगा के किनारे लेकर आए, ऐसे अनुमान भी हैं। कहा तो यह भी जा रहा है कि मोदी के पीछे तो दरअसल शरद पवार ही हैं। उनकी बेटी सांसद सुप्रिया सुले ने कहा कि किसी ने उनके पति का नाम लिया, तो वे अदालत में सबको घसीटेंगी। सुप्रिया ने प्रफुल्ल पटेल की बेटी का बचाव भी किया कि वह अच्छी लड़की है, उसे विवादों में मत घसीटिए। ऐसा लग रहा है कि आईपीएल के मैदान पर दिग्गजों द्वारा रस्साकसी की जा रही है। क्रिकेट बोर्ड अड़ गया है, दूसरे पाले में ललित मोदी भी अड़े हैं। हाईकोर्ट बीसीसीआई से पूछ रहा है कितना कमाया आईपीएल से और वह इसे कैसे नियंत्रित करता है। वहीं खेल मंत्री एमएस गिल ने भी अब कहा है कि जब किसी खेल को टैक्स में छूट नहीं दी जाती तो क्रिकेट को क्यों? बड़े पूंजीवादी परिवारों के लोगों का आईपीएल चल रहा है और देश की जनता देख रही है। यह खेल क्रिकेट की तरह हो गया है, जहां आखिरी गेंद तक कुछ नहीं कहा जा सकता।

कोई टिप्पणी नहीं: