गुरुवार, अक्टूबर 25, 2012

 अर्थशास्त्र का नोबल

अर्थशास्त्र के आधार पर बाजार के सिद्वांत काम करते हैं और बाजार की जरूरतों के अनुसार अर्थशास्त्र को तैयार किया जाता है। बावजूद दोनों के साथ जरूरी है मानवीय दृष्टिकोण।

चिकित्सा सेवाओं के बाजारीकरण के दौर में मरीजों के हितों की सुरक्षा को ध्यान में रखकर बाजार की कार्य प्रणाली का अध्ययन करने वाले दो अमेरिकी अर्थशास्त्रियों एलिवन रोथ और लायड शाप्ले को वर्ष 2012 के अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार दिया गया है। पुरस्कार देने वाली संस्था रायल स्विडिश अकादमी आफ साइसेंस ने अपनी घोषणा में दोनों अर्थशास्त्रियों के काम को आर्थिक इंजीनियरिंग का सर्वोत्तम उदाहरण बताया।
स्वीडन फाउंडेशन द्वारा स्वीडन के वैज्ञानिक अल्फ्रेड नोबेल की याद में वर्ष 1901 मे शुरू किया गया था। यह शांति, साहित्य, भौतिकी, रसायन, चिकित्सा विज्ञान और अर्थशास्त्र के क्षेत्र में विश्व का सर्वोच्च पुरस्कार है। इसमें पुरस्कार के रूप में प्रशस्ति-पत्र के साथ 14 लाख डालर की राशि प्रदान की जाती है। अर्थशास्त्र के क्षेत्र में नोबेल पुरस्कार की शुरुआत 1968 से की गई। पहला नोबेल शांति पुरस्कार 1901 में रेड क्रॉस के संस्थापक ज्यां हैरी दुनांत और फ्रेंच पीस सोसाइटी के संस्थापक अध्यक्ष फ्रेडरिक पैसी को संयुक्त रूप से दिया गया था। खैर 2012 के लिए प्रदान किया जाने वाला नोबल पुरस्कार भी मानवीयता से परिपूर्ण दृष्टिकोण को ख्याल में रख कर दिया गया है। यहां बाजार है, उसकी मर्यादा है लेकिन यह पहली बार गहन अध्ययन औरशोध के साथ दुनिया के सामने आया है कि चिकित्सा सेवाओं पर बाजार और उसका अर्थशास्त्र कैसे काम करता है। उपभोग आधारित अर्थव्यवस्था में दैनिक आवश्यकताओं में चिकित्सा जैसे महत्वपूर्ण पक्ष को शामिल किया गया है, क्योंकि इसके बिना हमारे पारिवारिक, सामाजिक दायित्व सीमित हो जाते हैं।  रोथ और शाप्ले के अनुसंधान ने मानव अंगों के प्रत्यारोपण, विद्यार्थियों के स्कूल, कर्मचारियों के लिए रोजगार के संबंध में मांग और आपूर्ति का अध्ययन किया है। उनयासी वर्षीय शाप्ले और 60 वर्षीय रोथ को अलग -अलग आर्थिक कारकों का मिलान करके बाजार को मजबूत बनाने के लिए इस प्रतिष्ठित पुरस्कार के लिए चुना गया है। उनके अध्ययन से चिकित्सा सेवाओं और अस्पताल में कार्यरत नये चिकित्सकों को बाजार की कार्यप्रणाली की बेहतर जानकारी मिल सकेगी। बारह लाख डॉलर का पुरस्कार देने वाली समिति के एक सदस्य टोरे एलिंग्सेन ने कहा कि मुख्य प्रश्न यह है कि जब संसाधन सीमित हैं तो किसको क्या मिलेगा। किस कर्मचारी को कौन से रोजगार मिलेगा। कौन से विद्यार्थी किस स्कूल में जाएगा। किस मरीज को प्रत्यारोपण के लिए कौन से अंग मिलेगा।  प्रोफÞेसर अमर्त्य सेन गÞरीबी और भूख जैसे विषयों पर काम करने के लिए 1998 में अर्थशास्त्र का नोबल पुरस्कार दिया गया। वे प्रतिष्ठित पुरस्कार जीतने वाले पहले एशियाई नागरिक बने थे। उनके शोध का प्रमुख आधार गÞरीबी और भुखमरी जैसे विषय थे। उन्होंने 1974 में बांग्लादेश में पड़े अकाल पर भी लिखा था। उन्होंने अकाल और भुखमारी को खत्म करने के व्यवहारिक उपाय भी बताए थे। निश्चय ही नोबल जीतने का अर्थ है कि आपने मानवता के लिए, उसकी उत्कृष्टता के लिए काम किया है।