शनिवार, अक्तूबर 06, 2012

गोपाल का गीत 
दूर जाकर न कोई बिसारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे,
यूँ बिछड़ कर न रतियाँ गुजारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।
मन मिला तो जवानी रसम तोड़ दे, प्यार निभता न हो तो डगर छोड़ दे,
दर्द देकर न कोई बिसारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।
खिल रहीं कलियाँ आप भी आइए, बोलिए या न बोले चले जाइए,
मुस्कुराकर न कोई किनारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।
चाँद-सा हुस्न है तो गगन में बसे, फूल-सा रंग है तो चमन में हँसे,
चैन चोरी न कोई हमारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।
हमें तकें न किसी की नयन खिड़कियाँ, तीर-तेवर सहें न सुनें झिड़कियाँ,
कनखियों से न कोई निहारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।
लाख मुखड़े मिले और मेला लगा, रूप जिसका जँचा वो अकेला लगा,
रूप ऐसे न कोई सँवारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।
रूप चाहे पहन नौलखा हार ले, अंग भर में सजा रेशमी तार ले,
फूल से लट न कोई सँवारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।
पग महावर लगाकर नवेली रँगे, या कि मेहँदी रचाकर हथेली रँगे,
अंग भर में न मेहँदी उभारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।
आप पर्दा करें तो किए जाइए, साथ अपनी बहारें लिए जाइए,
रोज घूँघट न कोई उतारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।
एक दिन क्या मिले मन उड़ा ले गए, मुफ्त में उम्र भर की जलन दे गए,
बात हमसे न कोई दुबारा करे, मन दुबारा-तिबारा पुकारा करे।

कोई टिप्पणी नहीं: