सोमवार, जनवरी 17, 2011

कुछ दिन और मैं

दोस्तो मैने ये कविता कुछ दिन पहले लिखी थी 
आज ये एक सच सा है ....पर अभी 

कुछ दिन और मैं

मैंने दिनों को स्ट्रीट लाइट बना दिए
मैंने अपने दिन प्यार से रंगे
मैंने शहर में हर तरफ अपने दिन टांग दिए

मेरे दिन जो नीले लाल थे

मेरे दिन चमक रहे हैं चारो ओर
सारा शहर गुजर रहा है उनके साये में 

दिनों में चमक रहा है मेरा प्यार
बरस रहा है शहर पर

मेरे दिन प्यार कर रहे हैं ...

कोई टिप्पणी नहीं: