गुरुवार, जुलाई 26, 2012

प्रणव मुखर्जी का मार्गदर्शन देश को निश्चय ही नई ऊंचाई देगा।

 

प्रणव मुखर्जी का राष्ट्रपति पद के लिए जीतना एक राजनीतिक रूप से सक्रिय व्यक्तित्व की जीत है। आने वाले वक्त में उनसे उम्मीदें होंगी कि वे राष्ट्रपति पद को भी एक गरिमपूर्ण सक्रियता देंगे।


प्रणव मुखर्जी देश के राष्ट्रपति बनने के लिए विजयी मत हासिल कर लिए हैं।  चुनाव आयोग द्वारा जीत की औपचारिक घोषणा के बाद वे भारतीय राष्ट्रपति के पद के लिए शपथ लेंगे।
प्रणव का जीतना इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि वे बंगाल पृष्ठभूमि से आने वाले पहले पहले राष्ट्रपति होंगे। दूसरी बड़ी बात ये है कि प्रणव दा राजनीतिक रूप से बहुत परिपक्व और कूटनीतिक रूप से एक अनुभवी राष्ट्रपति होंगे। उनकी राजनीतिक कौशल के बारे में कहा जाता रहा है कि पाकिस्तानी राजनेता उनसे मुलाकात करने से कतराते थे। क्योंकि प्रणव की तार्किकता से उनके लिए उबरना मुश्किल होता था। खैर अब यही राजनीतिक  तार्किकता से वे राष्ट्रपति पद को नए आयाम देंगे।
ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली तृणमूल कांग्रेस का समर्थन मिलने के बाद मुखर्जी की जीत और पुख्ता हो गई थी। मुखर्जी को कांग्रेस नेतृत्व वाले यूपीए के अलावा समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, राष्ट्रीय जनता दल और जनता दल (सेक्युलर) का भी समर्थन मिला। इसके अलावा एनडीए के घटक- जनता दल (यूनाइटेड) और शिव सेना तथा मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीएम) व फॉरवर्ड ब्लॉक ने भी मुखर्जी का समर्थन किया।  ममता के समर्थन के बाद  उनके लिए हार-जीत के सभी विकल्प उनकी जीत पर ही आकर ठहर गए थे। प्रणव मुखर्जी ने एनडीए उम्मीदवार पी ए संगमा को हराया है। प्रणव की जीत को कोई चमत्कार रोक नहीं सका। क्यों चमत्कार कहीं होते नहीं हैं।  संगमा चमत्कार का भ्रम था, जो अंतत: एक भ्रम ही रहा। अब राजनीतिक दलों और देश के लोगों में यह चर्चा जोरों पर है कि मुखर्जी किस तरह के राष्ट्रपति होंगे? दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कह भी दिया है कि सालों के अपने अनुभव के कारण प्रणव मुखर्जी देश के सबसे बुद्धिमान राष्ट्रपति होंगे।
प्रणव मुखर्जी को राष्ट्रपति पद कई मायनों में नई ऊंचाइयां देना होंगी। पैंडिंग कामों को निबटाना होगा। अरसे से दया याचिकाएं लंबित पड़ी हैं। ये याचिकाएं प्रथम नागरिक के रूप में उनको चुनौती हैं। दूसरी चुनौती हैं राष्ट्रपति पद को राजनीतिक दलों का रबर स्टैंप न बनने दिया जाए। देश के राष्ट्रपति अराजनीतिक रूप से रह रहे लोगों के लिए एक प्रेरणास्रोत होता है। भारतीय राजनीतिक संसदीय व्यवस्था में राष्ट्रपति कई सांवैधानिक  मर्यादाओं से आविष्ट होता है। उसकी गरिमा होती है, राजनीतिक मार्यादाएं होती हैं उनको भी बचाए बनाए रखना प्रणव की जिम्मेदारी होगी। प्रणव अब बंगाल के नहीं पूरे देश के हैं। वे प्रथम नागरिक हैं। उनका मार्गदर्शन देश को निश्चय ही नई ऊंचाई देगा।

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