सोमवार, जुलाई 23, 2012

भोपाल में मेहनत करती कांग्रेस


कांग्रेस ने जिस घेराव को अंजाम दिया, वह इस बात का संकेत भी है  कि कांग्रेस-कार्यकर्ताओं ने राजनीति के मैदान में मुकाबले की कुछ तो तैयारी कर ली है।



रा जनीति के धुरंधरों के हिसाब से चुनाव करीब ही आ चुके हैं। मैदानी कार्यकर्ताओं की हलचलों के साथ राजनीति से जुड़ी सत्ता की खीर में जबर्दस्त महक आने लगी है। पार्टियां तैयारी कर रही हैं। कार्यकर्ताओं का गुणा-भाग और शक्ति प्रदर्शन शुरू हो चुका है। मानसून सत्र के बाद इसमें और अधिक गर्माहट और महक बढ़ गई है। कांग्रेस ने अपने सोए हुए मैदानी सिपाहियों को जगा कर शुक्रवार को विधानसभा के घेराव के नाम पर शक्ति प्रदर्शन किया। यह शक्ति प्रदर्शन इस बात को लेकर था कि कांग्रेस के दो विधायकों की सदस्यता भारतीय जनता पार्टी ने छीन ली है। सच तो यह था कि विधायकों की बर्खास्तगी कांग्रेस के लिए मुद्दा नहीं बनता यदि कांग्रेस विधायकों की बर्खास्तगी के उत्तरार्ध पर विचार किया जाता। लेकिन भारतीय जनता पार्टी के विधायकों ने ताबड़तोड़ अंदाज में विधानसभा के गलियारे में बैठे, आसंदी पर कब्जा करने वाले विधायकों को प्रस्ताव लाकर इतनी सख्त राजनीतिक सजा दी कि वह जमीनी आंदोलन की प्रतिक्रिया में असर पैदा करने वाली घटना बन गई। 
विज्ञान का एक प्राकृतिक नियम है क्रिया के अनुरूप प्रतिक्रिया होती है। जितनी सख्त क्रिया (यहां विधायकों की सजा) तो उसकी उतनी ही सख्त प्रतिक्रिया (कांग्रेस का घेराव) होना ही था। इस कांग्रेसी क्रिया प्रतिक्रिया में चुनाव आयोग भी आ गया। उसने विधानसभा अध्यक्ष के आदेश के बाद दोनों विधायकों की सीटों को रिक्त घोषित कर दिया। मामला कांग्रेस के विधानसभा घेराव के शक्ति प्रदर्शन से अधिक अब वैधानिक फिसलन में समा गया है। सत्ता पक्ष ने विधायकों की बहाली के संकेत दिए लेकिन चुनाव आयोग के कारण यह मामला पतंग की उलझी डोर की तरह हो गया है। अब इसे सुलझाने और समाधान के लिए सिरे खोजने के प्रयास जारी हैं।
कांग्रेस ने जिस प्रकार शार्ट नोटिस पर घेराव को अंजाम दिया, वह इस बात का संकेत भी है  कि कांग्रेस के कार्यकर्ताओं ने राजनीति की रणनीति के मैदान में मुकाबले की कुछ तो तैयारी कर ली है। कांग्रेस के राजधानी भोपाल में दाखिले के दौरान विधानसभा का घेराव प्रमुख रहा। जनता से जुड़े मुद्दों पर कार्यकर्ता में कोई बहुत व्यापक प्रतिक्रिया नहीं थी। इसके राजनीतिक असर क्या होंगे? यह आने वाले वक्त में विश्लेषण का हिस्सा है। फिलहाल विश्राम करती हुई कांग्रेस को झंझोड़ने वाला काम भारतीय जनता पार्टी ने विधानसभा में अंजाम दे दिया है।
क्रिया की प्रतिक्रिया में एकत्रित कांग्रेसी कार्यकर्ता जनता में अपनी जगह बनाने की कोशिश कर रहे हैं। इस प्रदर्शन को भाजपा के किसान महापंचायत से भी जोड़ा जा सकता है। लेकिन राजनीतिक रूप से दोनों की कोई तुलना नहीं की जा सकती। कांग्रेस को घेराव से अधिक एक सुव्यवस्थित राजनीतिक कार्यक्रम को जनता के सामने रखना चाहिए। जब तक ऐसा नहीं होता भाजपा एकमात्र विकल्प बनी रहेगी। ा

कोई टिप्पणी नहीं: