रविवार, जून 03, 2012

रणनीति को खोती हुई पार्टी



 भारतीय जनता पार्टी ताकतवर विपक्षी दल से वंचित और अपनी रणनीति को खोती हुई पार्टी में बदलती जा रही है। हालिया तीन प्रकरणों से उसकी छवि अस्पष्ट और वैचारिक रूप से कमजोर दल की हुई है बल्कि उसके राजनीतिक मुद्दों पर ढुलमुल रवैये से भी जनता में उसके प्रति उपेक्षा -भाव पैदा हो रहा है।  इसके पीछे तार्किक आवधारणाएं मौजूद हैं। भाजपा के तीन प्रकरणों में पहला है उत्तरप्रदेश चुनावों में बाबू सिंह  कुशवाह का भाजपा में स्वागत करना। आडवाणी ने उत्तर प्रदेश चुनाव के दौरान भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे बसपा के नेताओं को पार्टी में शामिल करने के गडकरी के फैसले की आलोचना की थी। हाल ही में आडवाणी ने ब्लॉग में लिखा है कि ‘उत्तर प्रदेश विधानसभा के परिणाम, भ्रष्टाचार के आरोप में मायावती द्वारा निकाले गए मंत्रियों का भाजपा में स्वागत किया जाना। इन सब घटनाओं ने भ्रष्टाचार के विरूद्ध पार्टी के अभियान को कुंद किया है। उस समय भी आडवाणी सहित कई वरिष्ठ नेताओं ने इसका विरोध किया था। दूसरा प्रकरण है मोदी का, जिसमें सुनील जोशी को राष्ट्रीय कार्यकारिणी से बाहर बैठाया गया। और तीसरा प्रकरण मध्यप्रदेश के अध्यक्ष प्रभात झा का कमल संदेश का संपादकीय है। उन्होंने नितिन गडकरी और गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी पर अपरोक्ष रूप से हमला बोला है। मुखपत्र में बिना किसी का नाम लिए कहा गया है कि पार्टी के कुछ नेताओं को आगे बढ़ने की जल्दबाजी है। पार्टी के बुनायदी ढांचे को नजर अंदाज कर आगे बढ़ने की ललक गलत है। जैसे-जैसे एक नेता प्रगति करता है उसकी सोच और समझ में भी प्रगति होनी चाहिए।
भाजपा का अंदरुन अंधड़ यहीं खत्म होने का नाम नहीं लेता। इसमें जेठमलानी भी इस तेज बहती हवा में अपना मुक्का तानते हैं। बीजेपी सांसद राम जेठमलानी ने पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी को 23 मई को कड़ा पत्र लिखा है। उन्होंने बीजेपी नेताओं पर आरोप लगाया है कि वे संप्रग सरकार के दूसरे शासनकाल में बड़े पैमाने पर व्याप्त भ्रष्टाचार पर चुप्पी साध आपसी मतभेद में ही उलझे हैं। देश भ्रष्टाचार के खिलाफ उत्तेजनापूर्ण कार्रवाई चाहता है।  सरकार प्रणब मुखर्जी को राष्ट्रपति पद के लिए मैदान में उतारने की योजना बना रही है। बीजेपी इस मुद्दे पर चुप है, जिससे जनता समझेगी कि उसके पास भी कुछ छुपाने लायक है। जेठमलानी ने जो लिखा है वह जनता की अपेक्षाओं का सीधा वर्णन है। वे और भी बातें लिखते हैं जैसे कि देश समझ चुका है कि गरीबी और अभावग्रस्तता चारों ओर फैले भ्रष्टाचार और मुख्य रूप से हमारे वर्तमान शासकों द्वारा राष्ट्रीय संपत्ति की बड़े पैमाने पर लूट के कारण है। कमोबेश पूरे देश का मानना है कि मौजूदा केंद्रीय मंत्रिमंडल के आधे सदस्यों को जेल में होना चाहिए। जबकि बीजेपी के नेता एक दूसरे की टांग खींचने में व्यस्त हैं। सच यह है कि भारतीय जनता पार्टी अब अपने कमजोर पक्षों के ओवर फ्लो को झेल रही है। आने वाले वक्त में उसे देश का सशक्त विपक्षी गठबंधन तैयार करना था। अब भी समय है भाजपा गलतियों से सीखे और पुर्नस्थापित होकर मैदान में आए।
ravindra swapnil prajapati

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