भारत में इंटरनेट उपयोग करने वाले आज दस फीसदी लोग ही आनलाइन शॉपिंग करते हैं। आने वाले समय में इंटरनेट पर शॉपिंग करने वालों की संख्या में काफी इजाफा होगा। कंपनियां तैयार हैं।
आने वाले आॅनलाइन वक्त की आहट तकनीकी और बाजार दोनों में दिखाई देने लगी। हाल ही में देश की सबसे बड़ी आॅनलाइन शापिंग वेबसाइट फ्लिपकार्ट ने 1200 करोड़ जुटाकर आॅनलाइन बिजनेस में नई हलचल पैदा कर दी। देश में बढ़ रहे ई-बाजार में पैठ जमाने के लिए आॅनलाइन शॉपिंग कंपनियां कमर कस रही हैं। अमेजन की एंट्री के बाद तो देश में ई-कॉमर्स का बिजनेस बेहद गरम हो गया है। एक साल पहले 3000 रुपये का फोन और 1 रूपये में इंटरनेट जैसे नारे नए ग्राहकों का बूम लेकर आते हैं। यह इसलिए भी सफल होने जा रहा है कि इसमें ग्राहक को घर से बाहर नहीं निकलना होता है। टेलीकॉम कंपनियों का ये पैंतरा आॅनलाइन शॉपिंग वेबसाइटों को बहुत भा रहा है। दरअसल स्मार्टफोन पर इंटरनेट के बढ़ते चलन ने छोटे शहरों के खरीदारों को सीधे इन वेबसाइटों से जोड़ दिया है। आॅनलाइन शॉपिंग वेबसाइटों के मुताबिक छोटे शहरों के खरीदारों की संख्या लगातार बढ़ रही है। टेक्नोपेक के अनुमान के मुताबिक 2020 तक भारत में ई-कॉमर्स का कारोबार 12 लाख करोड़ रूपए का हो जाएगा। दरअसल ये दौड़ इसी बाजार पर कब्जा जमाने की है। इस साल अब तक आॅनलाइन शॉपिंग कंपनियां करीब 1000 करोड़ रूपये जुटा चुकी हैं। और हाल ही में अकेले फ्लिपकार्ट ने 1200 करोड़ रूपये जुटाए हैं। कंपनियों के मुताबिक भारत में ई-कॉमर्स का दूसरा दौर शुरू हो चुका है। हालांकि ई-कॉमर्स कंपनियों की लागत अभी भी ’यादा है। इसलिए अधिकतर आॅनलाइन कंपनियां मार्केटप्लेस मॉडल को अपना रही है जहां थर्ड पार्टी सीधे अपना सामान बेच सकती हैं। जानकारों के मुताबिक भारत में इंटरनेट उपयोग करने वाले सिर्फ दस फीसदी लोग ही आॅनलाइन शॉपिंग करते हैं। आगे आने वाले समय में इंटरनेट पर शॉपिंग करने वालों की संख्या में काफी इजाफा होगा।
देश की प्रमुख चाय कम्पनी गुडरिक अंतराष्ट्रीय बाजार में आॅनलाइन बिक्री करने के लिए अपने वेबसाइट में सुधार कर रही है। गुडरिक ब्रिटेन की कैमेलिया पीएलसी समूह की कम्पनी है। कई छोटी बड़ी कंपनियां भी इस कारोबार में पूरी तरह तैयार होकर उतर रही हैं।
गुडरिक जैसी कई कंपनियों ने घरेलू और अंतराष्ट्रीय बाजार में एक साथ आॅनलाइन बिक्री करने के लिए अपनी कम्पनियों ने पहले ही वेबसाइट में सुधार करने के लिए एजेंसियों को नियुक्त कर लिया है। कई कंपनियों के उच्च अधिकारियों के अनुसार अगले छह महीने में अंतराष्ट्रीय ई-सेलिंग के लिए भारतीय वेबसाइटों व्यापक रूप से सुधार होने जा रहा है। वर्तमान में जो सॉफ्टवेयर उपयोग किए जा रहे हैं वे सिर्फ भारत में ई-सेलिंग के लिए ठीक है। लेकिन अंतराष्ट्रीय बिक्री में दिक्कत आती है। आने वाले समय में ई बाजार की यह अवधारणा बाजार की मुख्यधारा होगी। देश की कंपनियों और इस विषय के जानकारों को रोजगार मिलेगा लेकिन इस सेवा में होने वाली दिक्कतों के लिए कानून की आवश्यकता भी होगी।
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