manas ji ke in savalo ke javab likh raha hoon
हमारी त्रैमासिक पत्रिका ‘पाण्डुलिपि’ हेतु परिचर्चा के अंतर्गत इस बार ‘अंतिम दशक के कवियों का समय और उनकी कविता’ बिषय पर विमर्श प्रस्तावित है । हम चाहते हैं कि आप अपनी बात विस्तार से रखें ताकि अंतिम दशक के कवियों और उसकी कविताओं का वास्तविक मूल्याँकन हो सके । उम्मीद है आप परिचर्चा के विषय एवं महत्व की देखते हुए इस विषय पर अवश्य लिखना चाहेंगे । विश्वास है - आप अपनी सामग्री हमें 10 दिवस अर्थात् 25 जनवरी, 2011 तक ई-मेल से भेज देंगे । सादर
जयप्रकाश मानस
कार्यकारी संपादक
अंतिम दशक के कवियों का समय और उनकी कविता
प्रश्नावली
01. अंतिम दशक की कविता की शुरूआत सोवियत संघ के विघटन से हुई, भूमंडलीकरण व बाज़ारवाद जैसी अवधारणायें भी इसी दशक से प्रारंभ हुई । क्या इसका कुछ-बहुत प्रभाव अंतिम दशक के कवियों की कविताओं की वैचारिकता पर पड़ा ?
02. वैसे अंतिम दशक के कवियों का समय, अपने पूर्ववर्ती कवियों, विशेषकर नवें दशक के स्थापित कवियों से किन अर्थों में भिन्न है ?
03. नयी कविता की बिम्ब प्रधानता, अकविता की सपाटबयानी तथा समकालीन कविता के उक्ति आधारित पंक्तियों की आवृत्तियाँ व प्रतीक-ब्यौरों आदि कला के बाद अंतिम दशक के कवियों का शिल्प कितना कुछ अलहदा दिखलाई पड़ता है ?
04. क्या हिन्दी कविता के भीतर अकविता की मनःस्थिति पुनः अंतिम दशक के कवियों की कविता में परिलक्षित की जा सकती है ? ऐसा मैं आर. चेतनक्रांति की ‘हम क्रांतिकारी नहीं थे’, या वसंत त्रिपाठी की ‘कालाहांडी’ जैसी कविताओं को पढ़कर भी कह रहा हूँ ?
05. वैसे आप अंतिम दशक के कवियों में किन किन कवियों के नामों का उल्लेख करना चाहेंगे और क्यों ?
06. इस दशक के ज्यादातर कवियों की कविताओं का काव्य शिल्प, काव्य-संप्रेषण पर हावी रहता है । यदि आप भी ऐसा मानते हैं, तो यह स्थिति हिन्दी कविता के विकास के लिए कितना उचित लगती है ?
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें