गुरुवार, अप्रैल 08, 2010
मां की बिजली से रोशन प्रदेश
विकास को प्रभावित करने की हद तक बिजली की कमी ने सरकार को इस समय सोचने पर मजबूर कर दिया है। इसके लिए सरकार ने नर्मदाघाटी में गैर परियोजना स्थलों पर भी बिजली पैदा करने की संभवनाएं तलाशी गई हैं। यह कार्य नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण और अन्य निजी कंपनियों के माध्यम से संपन्न होगा। इससे पहले भी नर्मदा पर निर्मित छह परियोजनाओं से करोड़ों यूनिट बिजली मिलती रही है। एक प्रकार से ऊर्जा के क्षेत्र में नर्मदा पालनहारी मां की भूमिका निभाती रही है। आज जब बिजली के लिए प्रदेश परेशान है तो फिर मां की ही धारा में आशाओं की ये किरण चमक रही हंै। आईआईटी रुड़की द्वारा नर्मदा घाटी में 182 स्थानों को पनबिजली परियोजनाओं के लिए चिन्हित करने से विकास नई ऊर्जा मिलेगी। रुड़की द्वारा चिन्हित स्थानों में प्रदेश के मंडला, डिंडोरी जैसे आदिवासी बहुल जिले भी हैं, जहां ये परियोजनाएं आकार लेंगी। बिजली के ये संयंत्र सिर्फ बिजली ही पैदा नहीं करेंगे, स्थानीय आर्थिक गतिविधियों को भी बढ़ावा देंगे। इन परियोजनाओं से उन क्षेत्रों में से क्षेत्र में रोशनी पहुंचेगी जहां अब तक विकास की विद्युत नहीं पहुंची थी। प्रस्तावित स्थानों पर बिजली उत्पादन केंद्रों का संचालन 2006 में बनाई गई लघु जल विद्युत विकास प्रात्साहन नीति के तहत किया जाएगा। इससे पूर्व प्रदेश के जल संसाधन विभाग ने बारना परियोजना को छोड़, दूसरी योजना नहीं ला सका। इस योजना के लिए शासन इंवेस्टर्स मीट का आयोजन कर रही है। ख्याल इतना ही रखना होगा कि इन छोटी योजनाओं के लिए कंपनियों को पूरी तरह परख कर ही अनुमति दी जाए। ये योजनाएं इतनी दूरगामी हों कि नर्मदा घाटी में चलते हुए संयंत्रों के रूप में दिखाई देती रहें।
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