सचिन का संन्यास
इसमें कोई दो राय नहीं है कि सचिन महान क्रिकेटर हैं लेकिन उम्र की अपनी सीमा होती है। नए क्रिकेटरों की ऊर्जा के आगे सचिन का खेल फीका होता जाएगा।
स चिन तेंदुलकर ने मार्च में कहा था कि वह इस बात से सहमत नहीं हैं कि खिलाड़ी को करियर की ऊंचाई पर खेल से संन्यास लेना चाहिए, उनके अनुसार ऐसा करना खुदगर्जी है। मैं तब तक खेलना चाहता हूं जब तक देश के लिए खेलने का जज्बा बरकरार है। सचिन के ये विचार अपने आप में महत्वपूर्ण हैं लेकिन इस दुनिया में जो क्रिकेट हो रहा है वह सिर्फ जब्बे के साथ नहीं, जीत को भी सलाम करने वाला है। लेकिन आज सचिन का फार्म खराब चल रहा है तो सवाल भी उठ रहे हैं कि उनका औसत रन रेट दोनों टेस्ट मैचों में 10 से भी कम रहा है। सचिन तेंदुलकर ने टेस्ट मैचों में पिछली 27 पारियों में कोई शतक नहीं बनाया है। तुरत फुरत क्रिकेट की शौकीन युवा पीढ़ी सिर्फ जीत को देखना चाहती है। अधिकांश खेल प्रेमियों को खेल से कम, जीत से सरोकार होता है ताकि वह कुछ जश्न मना सकें। सचिन से बार बार निराशा मिलने से टीम इंडिया के प्रशंसक बेहद खीझ गए थे। अब सचिन की नाकामी चर्चा का विषय भी बन गई है और यहीं से उनका भविष्य संन्यास की राह पर जाने वाला हो सकता है। मंगलवार को इंग्लैंड दौरे के लिए दोनों टेस्ट के लिए टीम घोषित होना थीं लेकिन चयनकर्ताओं ने सिर्फ एक टीम की घोषणा की है। जब सचिन इस टेस्ट में खुद को साबित करेंगे तब उनके लिए अगले टेस्ट के रास्ते का फाटक खुलेगा। खबरें आई थीं कि सचिन ने चयन कर्ताओं से कोई बातचीत की है। हालांकि भारतीय क्रिकेट नियंत्रण बोर्ड (बीसीसीआई) ने दावा किया है कि टीम इंडिया के सीनियर बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर की खराब फॉर्म के चलते राष्ट्रीय चयनकर्ताओं से हुई किसी बातचीत के बारे में उसे कुछ नहीं पता है। लेकिन सचिन ने सार्वजनिक तौर से स्वीकार किया है कि उनका मेरा फॉर्म काफी खराब चल रहा है और वह टीम इंडिया के लिए उतना योगदान नहीं दे पा रहे हैं जितना कि उन्हें देना चाहिए। इंग्लैंड के लिए जो भी टीम चुनी जाती है, वह उन्हें स्वीकार होगी। इससे संभावना को बल मिलता है कि उन्होंने चयनकर्ताओं से कोई बात की होगी। यहां अपने खराब फॉर्म की बात भी उन्होंने स्वीकार कर ली है। सचिन ने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में 23 वर्ष पूरे कर लिए हैं लेकिन दो दिन पहले यहां इंग्लैंड के खिलाफ भारत को 10 विकेट से मिली करारी शिकस्त के बाद उनकी आलोचना अधिक हो रही है।
वैसे सचिन तेंदुलकर दुनिया के एकमात्र बल्लेबाज हैं, जिन्होंने 100 अंतरराष्ट्रीय शतक जड़े हैं और उनके नाम टेस्ट और वन-डे में सबसे ज्यादा रन बनाने तथा इन दोनों प्रारूपों में सबसे ज्यादा शतक बनाने के भी रिकॉर्ड दर्ज हैं, लेकिन उनकी खराब फॉर्म जनवरी में सिडनी टेस्ट से जारी है। वह पिछले चार घरेलू टेस्ट मैचों में पांच बार बोल्ड या पगबाधा आउट हुए हैं, जिसने विशेषज्ञों को यह कहने पर बाध्य कर दिया है कि उनके रिफ्लेक्सेस धीमे हो गए हैं, क्योंकि वह 40 वर्ष की उम्र की ओर बढ़ रहे हैं। इसके बाद भी सचिन का खेल सदियों तक याद रहेगा। शिखर को छूने के बाद ढलान भी आता है। सचिन को जल्दी अपनी उम्र के बंधन को स्वीकार कर लेना चाहिए।
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