आतंकवाद के पनपने से पहले पाकिस्तान की आर्थिक दशा भारत से अच्छी थी लेकिन अब स्थिति उलट गई है।
ह क्कानी नेटवर्क से अमेरिकी अधिकारियों की गुप्त बातचीत के बाद उन्हें यकीन हो गया कि हक्कानी नेटवर्क को आईएसआई का सहारा मिल रहा है। आतंक के मामले में पाकिस्तान भी उतना ही पीड़ित है, जितना भारत या अफगानिस्तान। भारत और पाकिस्तान दोनों धार्मिक अतिवाद से ग्रस्त रहे हैं। ये ताकतें देश के हुक्मरानों पर हावी होने की कोशिश करती हैं। अफगानिस्तान और पाकिस्तान में सक्रिय हक्कानी नेटवर्क अमेरिकी सेना को नुकसान पहुंचाने का काम करता आ रहा है। अमेरिका इस बात से तंग आ चुका है कि उसके हमलों का असर क्यों नहीं हो रहा। 13 सितम्बर को अमेरिकी फौजों पर हमले करने के पीछे हक्कानी नेटवर्क का हाथ था। अमेरिका ने इस हमले के बाद पाकिस्तान पर दबाव बनाया कि वह हक्कानी नेटवर्क पर कार्यवाही करे। पाकिस्तान ने इस मामले में हल्की हिचक दिखाई क्योंकि आईएसआई में धार्मिक अतिवाद समर्थक लोग काबिज हैं। अमेरिका पाकिस्तान को अकेला नहीं छोड़ सकता क्योंकि पाकिस्तान परमाणु शक्ति संपन्न राष्ट्र है। ऐसी स्थितियों में भारत की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। हाल ही में हिना रब्बानी ने भारत को सबसे तरजीही राष्ट्र का दर्जा देने की घोषणा की है। पाकिस्तान और भारत की जनता एक दूसरे से संवाद करना चाहती है। यह आर्थिक और राजनीतिक दोनों मोर्चो पर जरूरी है। दोनों को विकास पर जोर देना होगा। हिंसा और आतंक किसी भी इंसानी सभ्यता का हिस्सा नहीं हो सकते। किसी समय पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति अच्छी थी लेकिन आतंकवाद पनपने के बाद स्थिति उल्टी है। अमेरिका से बड़ी आर्थिक सहायता मिलने के बाद भी पाकिस्तान गरीबी से उबर नहीं पा रहा है।
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