शनिवार, जुलाई 03, 2010

दोस्तों पर्यावरण पर कुछ विज्ञापन कॉपी

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वे आप भी पढियेगा
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तुमने हमारा पानी छीना
हमारे जंगल जमीन छीनी
ओ मनुष्य तुम सोचते हो
बोलो हम तुमसे क्या कहें
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वक्त पानी की तरह बरसता है
वक्त आग की तरह धूप भी बनता है
ठंडी हवाओं में कहता है
आपको क्या पसंद है?
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सोचो एक पेड़ सूखता है
सिर्फ उसकी पत्तियां  नहीं सूखतीं
चिड़िया की आशाएं भी सूखती हैं
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क्या कहेंगे हम, जब बच्चे पूछेंगे पेड़ का मतलब
चित्र दिखाएंगे, फिर समझाएंगे देखो ये पेड़ है
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किसी घर में जाना
देखना कितनी लकड़ी है
देखना कितना लोहा है
तब देना धन्यवाद
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हवाओं से कुछ मत कहना
फूल से कुछ मत कहना
फूल खिलता रहेगा स्वागत में
हवएं आकर बिखरती रहेंगी
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किसी चिड़िया से पूछना पेड़
किसी गाय से कहना घास
बाघ से पूछना जंगल
वे जानते हैं इनके सही अर्थ
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लहरों पर कौन लिखता है कचरा
नदी की धार में कौन डालता है गंदगी
कोई बाघ नहीं कोई जंगल नहीं
शायद कोई शहर है यहीं कहीं
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रविद्र स्वप्निल प्रजापति