दोस्तों पर्यावरण पर कुछ विज्ञापन कॉपी
वे आप भी पढियेगा
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तुमने हमारा पानी छीना
हमारे जंगल जमीन छीनी
ओ मनुष्य तुम सोचते हो 
बोलो हम तुमसे क्या कहें
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वक्त पानी की तरह बरसता है 
वक्त आग की तरह धूप भी बनता है 
ठंडी हवाओं में कहता है 
आपको क्या पसंद है?
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सोचो एक पेड़ सूखता है 
सिर्फ उसकी पत्तियां  नहीं सूखतीं
चिड़िया की आशाएं भी सूखती हैं
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क्या कहेंगे हम, जब बच्चे पूछेंगे पेड़ का मतलब
चित्र दिखाएंगे, फिर समझाएंगे देखो ये पेड़ है
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किसी घर में जाना
देखना कितनी लकड़ी है 
देखना कितना लोहा है 
तब देना धन्यवाद 
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हवाओं से कुछ मत कहना 
फूल से कुछ मत कहना 
फूल खिलता रहेगा स्वागत में 
हवएं आकर बिखरती रहेंगी 
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किसी चिड़िया से पूछना पेड़ 
किसी गाय से कहना घास 
बाघ से पूछना जंगल
वे जानते हैं इनके सही अर्थ 
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लहरों पर कौन लिखता है कचरा
नदी की धार में कौन डालता है गंदगी
कोई बाघ नहीं कोई जंगल नहीं 
शायद कोई शहर है यहीं कहीं 
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रविद्र स्वप्निल प्रजापति 
 
